तीन नए कृषि कानूनों पर सरकार और किसान नेताओं के बीच गतिरोध बरकरार है. किसान अभी भी कड़ाके की ठंड के बावजूद आंदोलन कर रहे हैं और अपनी मांगों पर डटे हैं. इस बीच आज किसान आंदोलन को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होनी है.
नई दिल्ली: तीन नए कृषि कानूनों पर सरकार और किसान नेताओं के बीच गतिरोध बरकरार है. किसान अभी भी कड़ाके की ठंड के बावजूद आंदोलन कर रहे हैं और अपनी मांगों पर डटे हैं. इस बीच आज किसान आंदोलन को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होनी है. सुप्रीम कोर्ट में कृषि कानून, किसान आंदोलन और अन्य मसलों पर अलग-अलग याचिकाएं दाखिल की गई हैं. इनमें सबसे अहम है आंदोलन कर रहे किसानों को सड़कों पर से हटाने की याचिका. लॉ स्टूडेंट ऋषभ शर्मा ने यह याचिका दायर की है. दूसरी तरफ किसानों ने आज (बुधवार, 16 दिसंबर) दिल्ली-नोएडा का चिल्ला बॉर्डर बंद करने का ऐलान किया है. किसानों के समर्थन में अब यूपी के खाप पंचायतें भी आ गई हैं.
मामले से जुड़ी अहम जानकारियां :
- सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को किसान आंदोलन से जुड़ी कई याचिकाओं पर सुनवाई होनी है. इनमें दिल्ली के अलग-अलग बॉर्डर पर जाम और कोरोना वायरस संकट को लेकर भी याचिका दायर की गई है. इसके अलावा किसान आंदोलन में मानवाधिकारों, पुलिस एक्शन और किसानों की मांग मानने की अपील से जुड़ी याचिका भी दाखिल की गई है. चीफ जस्टिस एस ए बोबडे, जस्टिस ए एस बोपन्ना और जस्टिस वी रामसुब्रमण्यम की बेंच इन मामलों पर सुनवाई करेगी.
- पश्चिमी यूपी की कई खाप पंचायतों ने किसान आंदोलन का समर्थन किया है और 17 दिसंबर को आंदोलनरत किसानों के साथ मिलकर दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शन करने की घोषणा की है. अखिल खाप परिषद के सचिव सुभाष बालियान ने ये जनाकरी दी है.
- किसानों के आंदोलन को देखते हुए पीएम मोदी ने एक बार फिर कृषि कानूनों को किसानों के लिए लाभकारी बताया है. पीएम मोदी ने कहा है कि विपक्ष किसानों को डरा रहा है और भड़काने की कोशिश कर रहा है.
- किसान कानून वापसी की मांग को लेकर दिल्ली की सीमाओं पर हजारों किसानों का विरोध प्रदर्शन जारी है. इस बीच, मंगलवार को एसोचैम ने सरकार और किसान संगठनों से गतिरोध खत्म करने की अपील करते हुए कहा कि किसानों के विरोध प्रदर्शन और बॉर्डर सील करने की वजह से पंजाब, हरियाणा और हिमाचल प्रदेश में उद्योग धंधों पर बुरा असर पड़ रहा है और हर रोज करीब 3500 करोड़ का आर्थिक नुकसान हो रहा है.
- किसान आंदोलन के बीच मंगलवार को कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के साथ करीब 1 घंटे चली मुलाकात के बाद भारतीय किसान यूनियन किसान गुट ने एक महीने के लिए अपना आंदोलन स्थगित करने का फैसला किया है. गुट के नेता पवन ठाकुर ने एनडीटीवी से बातचीत में कहा, "हमने नए कृषि सुधार से जुड़े कानूनों के खिलाफ अपना आंदोलन फिलहाल 1 महीने के लिए स्थगित करने का फैसला किया है." कृषि मंत्री से बैठक के बाद ठाकुर ने कहा कि किसान नेताओं को नए कानूनों को लेकर कुछ भ्रम था जो इस बैठक के बाद खत्म हो गया है.
- इधर, कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि कई जगह किसान नए कानूनों को लेकर भ्रम फैला रहे हैं. इन लोगों के मन में भी भ्रम था लेकिन जब मैंने उनके सामने विषय को रखा तो वो पूरी तरह कानून के समर्थन में आ गए. केंद्रीय मंत्री ने कहा कि वह बिलों के बारे में किसानों को बताएंगे और समझाएंगे कि किसी को गुमराह होने की जरूरत नहीं है.
- केंद्र के नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के आंदोलन के कारण जयपुर-दिल्ली राष्ट्रीय राजमार्ग मंगलवार को तीसरे दिन भी आंशिक रूप से प्रभावित रहा. राजस्थान-हरियाणा सीमा से सटे अलवर जिले के शाहजहांपुर कस्बे के पास इस मार्ग पर आवागमन प्रभावित है. स्वराज अभियान के नेता योगेंद्र यादव, माकपा विधायक बलवान पूनिया, पूर्व विधायक अमरा राम और अन्य नेताओं के नेतृत्व में किसानों ने शाजहांपुर के पास जयसिंहपुर-खेरा सीमा पर सकतपुरा में आंदोलन जारी रखा.
- सिंघु बॉर्डर पर संवाददाता सम्मेलन में किसान नेताओं ने 20 दिसंबर को उन किसानों की याद में देश भर में ‘श्रद्धांजलि दिवस' मनाने का आह्वान किया जिन्होंने इस आंदोलन के दौरान अपनी जान गंवा दी. किसान नेता ऋषिपाल ने कहा कि नवंबर के अंतिम हफ्ते में प्रदर्शन शुरू होने के बाद रोजाना औसतन एक किसान की मौत हुई है.
- इस बीच, हरियाणा के चार निर्दलीय विधायकों ने मंगलवार शाम को मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर से मुलाकात की तथा उनसे प्रदर्शनकारी किसानों एवं केंद्र के बीच नए कृषि कानूनों को लेकर बने गतिरोध का जल्द से जल्द समाधान निकालने का अनुरोध किया. नयन पाल रावत, रणधीर सिंह गोलेन, राकेश दौलताबाद और धरम पाल गोंदेर ने खट्टर से उनके आवास पर मुलाकात की. रावत ने बताया कि गतिरोध को खत्म करने के बारे में खट्टर से बात हुई और उन्होंने कहा कि राजग सरकार भी इस मुद्दे का जल्द समाधान चाहती है और वह किसानों की कई मांगों पर सहमति जता चुकी है.
- इधर, किसानों ने अपना रुख कड़ा करते हुए कहा कि वे सरकार से तीनों नए कृषि कानूनों को वापस कराकर रहेंगे. साथ ही कहा कि उनकी लड़ाई उस स्तर पर पहुंच गई है, जहां वे इसे जीतने के लिए ‘‘प्रतिबद्ध'' हैं. किसानों ने कहा कि अपनी मांगों के लिए वे बुधवार को दिल्ली और नोएडा के बीच चिल्ला बॉर्डर को पूरी तरह जाम कर देंगे।.सिंघु बॉर्डर पर संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए किसान नेता जगजीत डल्लेवाल ने कहा, ‘‘सरकार कह रही है कि वह इन कानूनों को वापस नहीं लेगी, हम कह रहे हैं कि हम आपसे ऐसा करवाएंगे.'' उन्होंने कहा, ‘‘लड़ाई उस चरण में पहुंच गई है जहां हम मामले को जीतने के लिए प्रतिबद्ध हैं.'' (एजेंसी इनपुट्स के साथ)